
कोरोना वायरस की तीसरी लहर का खतरा बढ़ता जा रहा है। दुनियाभर में कोविड-19 का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन तेजी से फैल रहा है। दावा किया जा रहा है कि ओमिक्रॉन अधिक संक्रामक है। ऐसे में एक बार फिर टेस्टिंग पर जोर दिया जाने लगा है। हर दिन लाखों कोरोना टेस्ट हो रहे हैं ताकि ओमिक्रॉन को बढ़ने से रोका जा सके। आरटी-पीसीआर टेस्ट को संक्रमण का पता लगाने के लिए सबसे भरोसेमंद तरीका माना जाता है। आरटी-पीसीआर टेस्ट में सीटी वैल्यू का पता चलता है। सीटी-वैल्यू कोरोना के टेस्ट प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है। लेकिन इसे लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल भी हैं
सीटी वैल्यू क्या है?
कोरोना का पता लगाने के लिए आरटी पीसीआर जांच होती है। आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए मरीज का स्वाब सैंपल लिया जाता है। फिर उसे डीएनए में बदलकर चेन रिएक्शन कराई जाती है ताकि पता चल सके कि सैंपल में वायरस मौजूद है या नहीं। सीटी वैल्यू को ‘साइकिल थ्रेशोल्ड’ कहा जाता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, आरटी-पीसीआर टेस्ट में पता चलने वाला सीटी वैल्यू उस चक्र की संख्या को संदर्भित करता है जिसके बाद वायरस का पता लगाया जा सकता है। आसान शब्दों में कहें तो वायरस की मौजूदगी की जांच के लिए चेन रिएक्शन की साइकिल बार बार दोहराई जाती है, यही सीटी वैल्यू होता है।
सीटी वैल्यू कैसे निकाली जाती है?
आईसीएमआर ने कोरोना वायरस की पुष्टि के लिए सीटी वैल्यू 35 निर्धारित की है। यानी अधिकतम 35 बार चेन रिएक्शन की साइकिल दोहराई जाती है। यदि इन 35 साइकिल के अंदर वायरस का पता चल गया तो मरीज कोरोना पॉजिटिव है लेकिन अगर 35 बार साइकिल तक वायरस नहीं मिला तो टेस्ट निगेटिव आती है। कई बार आठ से दल साइकिल में ही वायरस का पता चल जाता है तो कई बार 30 से 32 बार साइकिल में वायरस की मौजूदगी पता चलती है।
सीटी वैल्यू कम या ज्यादा होने से क्या होता है?
अगर सैंपल में जल्दी वायरस का पता चल जाता है, जैसे कि आठ-दस बार साइकिल में ही वायरस की मौजूदगी पता चल गई तो इसका मतलब होता है कि वायरल लोड ज्यादा है। कम साइकिल में वायरस का मिलता अधिक गंभीर स्थिति बताता है। संक्रमित मरीज ओमिक्राॅन से ग्रसित हो सकता है या नहीं, सीटी वैल्यू से पता चल सकता है।
ओमिक्रॉन की सीटी वैल्यू कितनी होती है?
जो मरीज आरटी-पीसीआर टेस्ट में संक्रमित पाए जाते हैं उनकी सीटी वैल्यू अगर कम होती है यानी 25 से 30 होती है तो माना जाता है कि उनकी स्थिति गंभीर है। सीटी वैल्यू अधिक होने पर मरीज की स्थिति गंभीर नहीं मानी जाती है। आरटी पीसीआर टेस्ट में जिन मरीजों का रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आती है, अगर उनकी सीटी वैल्यू 25 या उससे कम हुई तो उनके सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग जांच के लिए भेजा जाता है। जीनोम सिक्वेंसिंग जांच से पता चलता है कि वायरस कैसा है। ओमिक्रॉन या डेल्टा वेरिएंट की पहचान के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग जांच की जाती है, जो सीटी वैल्यू 25 से कम होने पर होती है।
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